रेशम

रेशम

रेशम क्या है ?

mul-silkव्यक्ति रेशम उत्पादों के प्रति हमेशा जिज्ञासु रहा है । वस्त्रों की रानी के नाम से विख्यात रेशम विलासिता, मनोहरता, विशिष्टता एवं आराम का सूचक है । मानव जाति ने अद्वितीय आभा वाले इस झिलमिलाते वस्त्र को चीनी सम्राज्ञी शीलिंग टी द्वारा अपने चाय के प्याले में इसके पता लगने के काल से ही चाहा है यद्यपि इसे अन्य प्राकृतिक एवं बनावटी वस्त्रों की कई गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा, फिर भी शताब्दियों से वस्त्रों की रानी के रूप में विख्यात, इसने निर्विवाद रूप से अपना स्थान बनाए रखा है । प्राकृतिक आभा, रंगाई एवं जीवन्त रंगों के प्रति अंतर्निहित आकर्षण, उच्च अवशोषण क्षमता, हल्का, लचकदार एवं उत्कृष्ट वस्त्र-विन्यास जैसे श्रेष्ठ गुणों ने रेशम को विश्व में किसी सुअवसर का अत्यंत सम्मोहक एवं अपरिहार्य साथी बना दिया है ।

रेशम, रसायन की भाषा में रेशमकीट के रूप में विख्यात इल्ली द्वारा निकाले जाने वाले एक प्रोटीन से बना होता है । ये रेशमकीट कुछ विशेष खाद्य पौधों पर पलते हैं तथा अपने जीवन को बनाए रखने के लिए ‘सुरक्षा कवच’ के रूप में कोसों का निर्माण करते हैं । रेशमकीट का जीवन-चक्र 4 चरणों का होता है, अण्डा, इल्ली, प्यूपा तथा शलभ । व्यक्ति रेशम प्राप्त करने के लिए इसके जीवन-चक्र में कोसों के चरण पर अवरोध डालता है जिससे व्यावसायिक महत्व का अटूट तन्तु निकाला जाता है तथा इसका इस्तेमाल वस्त्र की बुनाई में किया जाता है ।

रेशम क्यों ?

रेशम ऊंचे दाम किंतु कम मात्रा का एक उत्पाद हे जो विश्व के कुल वस्त्र उत्‍पादन का मात्र 0.2% है । चूंकि रेशम उत्पादन एक श्रम आधारित उच्च आय देने वाला उद्योग है तथा इसके उत्पाद के अधिक मूल्य मिलते हैं, अत: इसे देश के आर्थिक विकास में एक महत्‍वपूर्ण साधन समझा जाता है । विकासशील देशों में रोजगार सृजन हेतु खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र में तथा विदेशी मुद्रा कमाने हेतु लोग इस उद्योग पर विश्वास करते हैं |

रेशम कहां ?

विश्व में भौगोलिक दृष्टि से एशिया में रेशम का सर्वाधिक उत्पादन होता है जो विश्व के कुल उत्पाद का 95% है ।  यद्यपि विश्व के रेशम मानचित्र में 40 देश आते हैं,  किंतु अधिक मात्रा में उत्पादन चीन एवं भारत में होता है तथा इसके उपरांत जापान, ब्राजील एवं कोरिया में ।  चीन, विश्व को इसकी आपूर्ति करने में अग्रणी रहा है ।
 
रेशम के सर्वाधिक उत्पादन में भारत द्वितीय स्थान पर है, साथ ही विश्व में भारत रेशम का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है ।  यहां घरेलू रेशम बाजार की अपनी सशक्त परम्परा एवं संस्कृति है ।  भारत में शहतूत रेशम का उत्पादन मुख्यतया कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, जम्मू व कश्मीर तथा पश्चिम बंगाल में किया जाता है जबकि गैर-शहतूत रेशम का उत्पादन झारखण्ड, छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों में होता है ।

रेशम किस्में

व्यावसायिक महत्व की कुल 5 रेशम किस्में होती हैं जो रेशमकीट की विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होती हैं तथा जो विभिन्न खाद्य पौधों पर पलते हैं ।  किस्में निम्न हैं :

  • शहतूत
  • ओक तसर एवं उष्णकटिबंधीय तसर
  • मूगा
  • एरी
विश्व के वाणिज्यिक रूप में लाभ उठाए जाने सेरिसिजीनस कीट एवं उनके खाद्य पौध
सामान्य नामवैज्ञानिक नाममूल स्थानप्राथमिक खाद्य पौध
शहतूत रेशमकीटबोम्बिक्स मोरीचीनमोरस इंडिका
एम.अल्बा
एम.मल्टीकॉलिस
एम.बोम्बिसिस
उष्णकटिबंधीय तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया माइलिट्टाभारतशोरिया रोबस्टा
टेर्मिनेलिया टोमेन्टोसा
टी.अर्जुन
ओक तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया प्रॉयलीभारतक्युरकस इनकाना
क्यू. सेराट्टा
क्यू. हिमालयना
क्यू. ल्यूको ट्राइकोफोरा
क्यू. सेमीकार्पिफोलिया
क्यू. ग्रिफ्ती
ओक तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया फ्रिथीभारतक्यू. डीलाडाटा
ओक तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया कॉम्प्टाभारतक्यू. डीलडाटा
ओक तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया पेर्निलचीनक्यू. डेनडाटा
ओक तसर रेशमकीटएन्‍थीरिया यमामाईजापानक्यू. एकयूटिसिमा
मूगा रेशमकीटएन्‍थीरिया असामाभारतलिटसिया पोलियन्ता
एल. सिट्राटा
मेशिलस बोम्बिसाईन
एरी रेशमकीटफिलोसामिया रिसिनीभारतरिसिनस कम्यूनिस
मणिहॉट यूटिलिस्मा
इवोडिया फ्राग्रेन्स

 

शहतूत के अलावा रेशम के अन्य गैर-शहतूती किस्मों को सामान्य रूप में वन्या कहा जाता है । भारत को इन सभी प्रकार के वाणिज्यिक रेशम का उत्‍पादन करने का गौरव प्राप्त है ।