उत्तर – पूर्वी क्षेत्र वस्त्र संवर्धन

उत्तर – पूर्वी क्षेत्र वस्त्र संवर्धन

उत्तर पूर्वी क्षेत्र (उपूक्षे) वस्त्र संवर्धन योजना (12वीं योजना के दौरान उपू के लिए रेशम उत्पादन परियोजनाएं)


उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वस्त्र क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने “उत्तर पूर्व क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना” नाम से उत्तर पूर्व क्षेत्र के लिए परियोजना आधारित कार्य नीति का अनुमोदन दिया है । यह योजना मंत्रालय की नियमित योजनाओं के अतिरिक्त उत्तर पूर्व क्षेत्र में कार्यान्वित की जाएगी । इस योजना के अन्तर्गत व्यय उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए चिह्नित 10 प्रतिशत बजट परिव्यय से किया जाएगा । योजना आयोग ने बारहवीं योजना में  “उत्तर-पूर्व क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना” के लिए ` 1038.10 करोड़ का प्रावधान आवंटित किया है । यह योजना आर्थिक एवं वित्तीय समिति द्वारा 08 अप्रैल, 2013 तथा आर्थिक कार्य मंत्रिमण्डल समिति द्वारा 7 नवम्बर, 2013 को अनुमोदित की गई ।

उत्तर पूर्व राज्यों में हथकरघा बुनाई, हस्तशिल्प तथा रेशमउत्पादन की दीर्घ परम्‍परा रही  है । देश के हथकरघा के 50 प्रतिशत से अधिक की संख्या इस क्षेत्र में है । फिर भी, अधिकतर करघे घरेलू उपभोग के लिए उत्पादन करते हैं । इस क्षेत्र में  वस्त्र क्षेत्र के विकास तथा रोजगार अवसर के सृजन की भरपूर संभावना है । “उत्तर पूर्व क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना” का मुख्य लक्ष्य कच्चा माल, बीज बैंक, मशीनरी, सामान्य सुविधा केन्द्र, कुशलता विकास, डिज़ाइन तथा विपणन सहायता आदि के लिए आवश्यक सरकारी सहायता प्रदान करते हुए उत्तर पूर्वी क्षेत्र में वस्त्र क्षेत्र का विकास एवं आधुनिकीकरण करना है । योजना के विशेष लक्ष्य में वस्त्र उत्पादन के मूल्य में वृद्धि, प्रौद्योगिकी उन्नयन, डिज़ाइन क्षमता में सुधार, उत्पाद तथा मूल्य संवर्धन में विविधीकरण, घरेलू तथा निर्यात बाज़ारों का बेहतर उपयोग, तथा श्रम उत्पादकता में समूहीकरण एवं सुधार, बाज़ार उपयोग व बाज़ार संवर्धन आदि शामिल है ।

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