केन्द्रीय क्षेत्र योजना

केन्द्रीय क्षेत्र योजना

केन्द्रीय रेशम बोर्ड देश में रेशम उत्पादन एवं रेशम उद्योग के विकास के लिए 1948 के दौरान गठित एक सांविधिक निकाय है ।  केरेबो के अधिदेशित  क्रियाकलाप हैं :

  1. अनुसंधान व विकास, एवं अनुसंधान विस्तार,
  2. चार स्तरीय रेशमकीट बीज उत्पादन नेटवर्क का रखरखाव,
  3. वाणिज्यिक रेशमकीट बीज उत्पादन में नेतृत्व की भूमिका निभाना,
  4. विभिन्न उत्पादन प्रक्रियाओं का मानकीकरण एवं गुणवत्ता प्राचलों की शिक्षा,
  5. घरेलू एवं अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में भारतीय रेशम का उन्नयन तथा रेशम उत्पादन एवं रेशम उद्योग से संबंधित सभी नीतिगत मामलों पर संघ सरकार को सलाह देना ।

केन्द्रीय रेशम बोर्ड की ये अधिदेशित गतिविधियाँ 3 केन्द्रीय क्षेत्र योजनाओं के अंतर्गत विभिन्न राज्यों में स्थित केरेबो की 300 इकाइयों द्वारा की जा रही हैं । नौवीं योजना तक इन गतिविधियों को केरेबो के नियमित "कार्यक्रम" के रूप में की गई थी । दसवीं योजना के दौरान, केरेबो के इन नियमित कार्यक्रमों को अधिदेशित कार्य जिसके लिए वित्त व्यय समिति का अनुमोदन प्राप्त है, की प्रकृति एवं लक्ष्य पर आधारित तीन "केन्द्र क्षेत्र योजना" के रूप में समूहित किया गया ।

नौवीं योजना से आगे, केरेबो ने प्रौद्योगिकी, अपने अनुसंधान एवं विकास इकाइयों द्वारा विकसित अभिनव परिवर्तन में ताल-मेल बैठाने एवं प्रचार-प्रसार तथा उत्पादन, उत्पादकता एवं रेशम की गुणवत्ता में वृद्धि के लक्ष्य के साथ केन्द्र प्रत्योजित योजना [उविका] का कार्यान्वयन किया । उविका, क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का प्रभावी साधन रहा है । यद्यपि, यह योजना राज्यों के माध्यम से कार्यान्वित की जाती है, इसके कार्यान्वयन के लिए तकनीकी निवेश प्रदान करने के अतिरिक्त केरेबो की श्रमशक्ति बृहत् रूप में कार्यक्रम की तैयारी, मूल्यांकन, प्रचलन एवं अनुश्रवण में तैनात की जाती है ।

वर्ष 2015-16 के दौरान 14वीं वित्तीय आयोग की सिफ़ारिशों के आधार पर भारत सरकार ने संघ कर राजस्व की निवल प्राप्ति में राज्य के हिस्से को 32 से 42% तक बढ़ाई है । राज्य सरकार के लिए अधिक निधि के बहाव के कारण संघ सरकार ने अधिकतम केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को बंद करने का निर्णय लिया है । तदनुसार, भारत सरकार ने वर्ष 2015-16 से केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में उत्प्रेरक विकास कार्यक्रम का कार्यान्वयन बंद करने का निर्णय लिया है । 

उपरोक्त सभी केन्द्र क्षेत्र योजनाएँ संगठित रूप में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और इसका लक्ष्य देश में रेशम की गुणवत्ता एवं उत्पादकता बढाना है, इससे पणधारियों की आय में वृद्धि लाना है । अत: नस्ल, बीज, कोसोत्तर प्रौद्योगिकी एवं क्षमता विकास जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हस्तक्षेप पर ध्यान केन्द्रित करते हुए इन सभी योजनाओं को एक योजना नामत: “रेशम उद्योग के विकास के लिए समग्र योजना” के अंतर्गत लाने का प्रस्ताव है । गुणवत्ता एवं उत्पादकता में सुधार पर स्पष्ट प्रभाव के लिए कुछ उविका घटकों को चालू अनुसंधान व विकास एवं केन्द्र क्षेत्र के बीज योजनाओं में मिलाया गया है ।  

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